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प्रवास सोसाइटी प्रत्येक वर्ष 19 दिसंबर देगी 'अनुपम पर्यावरण सम्मान '

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प्रवास सोसाइटी प्रत्येक वर्ष 19 दिसंबर देगी 'अनुपम पर्यावरण सम्मान '


21 दिसंबर,बाँदा- प्रख्यात पर्यावरणविद,लेखक-चिन्तक श्रद्धेय अनुपम मिश्र जी की स्मृति को हमेशा अपने साथ रखने के लिए बुंदेलखंड के सामाजिक कार्यकर्ता,समुदाय ने निर्णय लिया है. पानी लेखक दिवंगत अनुपम मिश्र की पुण्यतिथि 19 दिसंबर को बाँदा की प्रवास सोसाइटी हर वर्ष 'अनुपम पर्यावरण सम्मान 'देगी. अपने आस-पास मौजूद रियल जमीनी हीरो और सजग- सादगी पूर्ण प्रकृति योद्धा को उसके कार्यो के प्रोत्साहन स्वरुप यह एवार्ड दिया जायेगा. इस दिवस आयोजित कार्यक्रम में उनसे जुड़ी यादें,लेखन और प्रकृति सम्यक विषयों पर संवाद / भविष्य की चिंताओं पर हम सब स्वयं के काम का भी आत्म बोध आंकलन करेंगे...यह उन्हें विस्मृत न करने का प्रयास मात्र है श्रधांजलि स्वरुप.

तालाबों की अनुपम महत्ता समझाने वाले पर्यावरण विद अनुपम मिश्र नहीं रहे !

''आदमी का काम उसकी करनी का दस्तावेज बन जाता है,
जीवन छूटने के बाद यादों की सेज बन जाता है ''

अपनी यायावरी लेखनी से गाँव- गिरांव की धरोहर तालाब,पोखर और जोहड़ को पुश्तैनी विरासत मानने वाले अनुपम मिश्र जी का देहांत हो गया है. भवानी भाई केबेटे और होशंगाबाद के पास जन्मे,उनकी बहुचर्चित किताब 'आज भी खरे है तालाब 'को जल संकट और पानी की परंपरागत विधा का अतुल्य दस्तावेज कहा जा सकता है. प्रकृति के बीच काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण प्रहरी उन्हें आज भी खरे है तालाब की बदौलत ही अधिक जानते थे. गांधीवादी विचारधारा के सिपाही अनुपम जी को प्रोटेस्ट कैंसर था,जीवन को बेहद सादगी से जीने वाले अनुपम को आज पानी की दुनिया में नाम,सम्मान और दाम कमाने वाले कई प्रायोजित योद्धा का नैसर्गिक गुरु भी कहा जा सकता है वो भी उस मायने में जिसने अपने काम और शब्द की यात्रा का कभी कोई मोल नही लिया. राजेन्द्र सिंह राणा के तरुण भारत संघ के अध्यक्ष रहे. अनुपम जी गाँधी पीस फाउंडेशन से भी जुड़े रहे. मेरे इस अल्प अनुभव संस्मरण में एक बार ही उनसे भेंट हुई विकास संवाद के सुखतवा- केसला संवाद में. उन्हें सुनकर उनका मुरीद हो जाना ये सामान्य बात थी. बाँदा से उनका जुड़ाव रहा है. सूत्र बतलाते है अनुपम जी की जीवन संगनी (मेरी माता समान) बाँदा से ताल्लुक रखती थी.वे कर्वी की रहवासी है.बीते जुलाई माह में आदरणीय राकेश दीवान( उनके अभिन्न मित्र),सचिन जैन से वार्ता के बाद उनसे बेसिक टेलीफोनिक बात कुछ पल हुई थी,तब उन्हें जानकारी देकर बतलाया था कि आपको समर्पित सात दिन की पानी यात्रा बुंदेलखंड से लखनऊ तक निकाली जा रही है. इतने मात्र से ही उनका समर्थन और प्रेम मेरे लिए जीवन भर स्मृति रूप में जीवित रहेगा. पिछले कई वर्ष से उनके साथ हम साये की तरह रह रहे भाई प्रभात झा से जब कभी उनके स्वास्थ्य की जानकरी मिलती थी.आज सुबह साढ़े पांच बजे उनका देहांत हुआ है. उन्हें हमेशा हम एक बेहतर इंसान और प्रकृति सम्यक जमीनी योद्धा के चेहरे में याद करते रहेंगे...उन्हें प्रणाम !

(तस्वीर- राजस्थान के लापोडिया में इस तालाब का ज़िक्र उनकी किताब में भी है,पद यात्रा के दौरान तस्वीर ली थी )

By: Ashish Sagar


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